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बुधवार, 21 अप्रैल 2010

इश्क में जो कुछ

इश्क में जो कुछ
होना था
वोही होने लगा

घूम की वादी में
ख़ुशी का कारवां खोने लगा
इश्क में जो कुछ
ना होना था
वोही होने लगा
इश्क में जो कुछ
ना होना था
वोही होने लगा

कौन समझेगा मुहब्बत की
भला मजबूरियाँ
कौन समझेगा मुहब्बत्त की
भला मजबूरियाँ

दो दिलों की चाहतें
दुनिया की नामंजूरियाँ
मुस्कुराने ही से पहले
प्यार क्यूँ रोने लगा

इश्क में जो कुछ
ना होना था
वोही होने लगा
इश्क में जो कुछ
ना होना था
वोही होने लगा

सामने आँखों के मेरे
इश्क का अंजाम है
सामने आँखों के मेरे
इश्क का अंजाम है

है अगर ये ज़िन्दगी तो
मौत किस का नाम है
रंज घूम जागे
नसीबा इश्क का सोने लगा

इश्क में जो कुछ
ना होना था
वोही होने लगा
इश्क में जो कुछ
ना होना था
वोही होने लगा

घूम की वादी में
ख़ुशी का कारवां खोने लगा
इश्क में जो कुछ
ना होना था
वोही होने लगा

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