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शनिवार, 31 जुलाई 2010

सच को स्वीकारें और निर्णय लें

हेलो दोस्तो! प्यार करने वाले हमेशा अपने भीतर एक अलग ही दुनिया बसा लेते हैं। पूरी व्यवस्था को वे बहुत ही हिकारत भरी नजरों से देखते हैं। उन्हें लगता है उनकी भावना में इतनी ताकत है कि सदियों से चले आ रहे नियम कानूनों की उन्हें कोई आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। उनका मन इतना सच्चा है कि दुनिया की सारी मक्कारी भरी चाल उल्टी पड़ जाएगी। उनकी नीयत इतनी साफ है कि अन्य रिश्तों की चालाकी भरी धूल उसे मैला नहीं कर पाएगी।

पर, थोड़ी सी विपरीत परिस्थिति आती है दो प्यार करने वाले में एक, दूसरे को शक की नजर से देखने लगता है। वे अपनी भावना की गहराई को एक बार फिर मापने की कोशिश करते हैं। कई बार वे यह जानकर हैरान हो जाते हैं कि उनके अन्य रिश्तों के आँसुओं की बाढ़ में प्यार की कश्ती हिचकोले लेती हुई कब डूब गई उन्हें पता ही नहीं चला। और तब, मन ही मन उन्हें शर्मिंदगी होती है कि हमारे सारे दावे कितने खोखले थे। उन्हें आश्चर्य होता है कि क्या वे सचमुच अपने मन को नहीं पहचानते थे।

कोमल (बदला हुआ नाम) भी अपने मन को इतनी ही हैरानी से देख रही हैं। उन्हें अपने मन की नई हलचल पर आश्चर्य हो रहा है। अपने प्यार और विचार की परिपक्वता पर उन्हें बेइंतहा भरोसा था। पर, जरा से बदले हुए हालात के साथ ही अपने डगमगाते कदम पर वह विचलित हैं।

कोमल अन्य जाति के एक लड़के से प्रेम करती हैं। जमाने के कड़े रुख को देखते हुए दोनों ने फैसला किया कि वे शादी नहीं करेंगे पर एक-दूसरे का साथ निभाएंगे। वे आपस में यह प्रण कर बैठे कि चाहे उन्हें घर वालों के दबाव में शादी ही क्यों न करनी पड़े पर उनकी प्रतिबद्धता केवल एक-दूसरे के लिए रहेगी। वे दुनियादारी केवल व्यवहारिकता के लिए निभाएँगे। दोनों नौकरी करते हैं। प्रेम के दो वर्ष पलक झपकते निकल गए क्योंकि तब उन दोनों के सिवा वहाँ खलल डालने वाला कोई नहीं था।

पिछले माह लड़के के माँ-बाप ने उसकी मंगनी कहीं और कर दी। इस मंगनी के बाद कोमल बहुत ही असुरक्षित महसूस करने लगी जबकि उनके दोस्त ने यह भरोसा दिलाया है कि वे यह सब केवल घरवालों के दबाव में कर रहे हैं। पर इस दिलासे का कोमल पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। बस सगाई की रस्म से ही वह अपने आपको उससे दूर महसूस करने लगी हैं।

कोमल की हैरानी और परेशानी का एक और बड़ा सबब है, वह है, उसके दिल पर किसी और की दस्तक का। अभी अपने प्रेमी की सगाई को महीना भी नहीं बीता है और वह अपने एक अन्य सहयोगी के प्रति आकर्षण महसूस करने लगी हैं। अपने दिल के इस रवैये पर वह बेहद क्षुब्ध हैं। उसे लगता है आखिर क्यों उसका अमर प्रेम कहीं गुम होता जा रहा है और कोई दूसरी छवि उसके दिल के करीब बसेरा करने लगी है। वह अपने आप से खफा है। उसे समझ नहीं आता कि जो बात पहले से तय थी उसके होने पर वह क्यों बौखला गई। नए प्रेम का आकर्षण उसे अनैतिक लगता है। वह इस कशमकश से निकलना चाहती है।

कोमल जी, जो कुछ घटता है और जिसे हम स्वीकार करते हैं वही सच है, बाकी सब मन को खुश करने वाली बातें हैं। आप दोनों में ही एक प्रकार की व्यवहारिकता है जिसके कारण ही आपने दुनिया का विरोध न झेलने का निर्णय लिया। कुछ लोग इस समाज में शादी प्रथा में विश्वास नहीं करते हैं इसलिए वे बिना किसी बंधन के भी एक-दूसरे को प्यार करते हैं और आजाद रहते हुए भी प्रतिबद्ध रहते हैं। पर, आपकी वह सोच नहीं थी। आप लोग जमाने के डर से किसी अन्य के साथ घर बसाने को तैयार थे और एक काल्पनिक चाहत थी कि आपका प्यार बचा रहे। ऐसा नहीं होता है। इस ताश के महल को ढहना ही था। बिना आधार के इस दुनिया में कोई भी चीज नहीं टिक सकती है।

शादी तो बहुत दूर की बात है मात्र सगाई ने ही आपकी मन की दुनिया बदल डाली। जब हम भीतर से घबराए हुए होते हैं तो खुद को सुरक्षित करने के लिए जल्दबाजी में फैसले करते हैं। जल्दबाजी किसी भी स्थिति में सही नहीं है। खासकर जब हम आहत हों या विचलित हों। यह बात तो पूरी तरह तय है कि किसी अन्य से शादी करके आप लोगों का प्यार बरकरार नहीं रह सकता है। इसका सबूत आपके दिल ने दे ही दिया है। हमें भरोसा दूसरे के व्यवहार से मिलता है। सामने वाले का व्यवहार ही भरोसे का आधार होता है। व्यवहार के बदलाव से विश्वास शक में बदलता है।

चूँकि आपके दोस्त का व्यवहार सगाई के बाद थोड़ा बदला हुआ होगा इसलिए आप पहले जैसा आत्मविश्वास महसूस नहीं कर पा रही हैं। या यूँ कहें कि सगाई के बाद वह आपके कदमों पर सिर रखकर क्यों नहीं रोया कि बहुत हो गई दुनियादारी चलो शादी कर लेते हैं। किसी और को मैं अपने जीवन में सहन नहीं कर सकता। चूँकि ये सब नहीं हुआ इसलिए आपका मन खट्टा हो गया। आपका भरोसा टूट गया। आपने भी नई राह तलाश करनी चाही।

बीते हुए अफसाने आए हैं रुलाने


ज्यादा दिन नहीं हुए इस किस्से को। आईआईटी के टेक्सटाइल इंजीनियरिंग में अध्ययनरत तृतीय वर्ष की छात्रा प्रगति का शिमला के होटल में रूड़की आईआईटी में तीसरे साल के विद्यार्थी उसके बॉयफ्रेंड गौरव वर्मा ने कत्ल कर दिया। बाद में गौरव ने स्वीकारा कि उसने ही प्रगति की हत्या की है, क्योंकि प्रगति ने उसे बताया कि उसका इससे पहले भी किसी से संबंध था।

इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या वर्तमान रिश्तों को बचाने के लिए अतीत के रिश्तों को दफनाना ही चाहिए? दरअसल इसमें भी महिलाओं और पुरुषों का दृष्टिकोण अलग-अलग है। पुरुष अपने संबंधों को अब भी बड़े गर्व के साथ स्वीकारते हैं, लेकिन महिलाएँ स्वीकारते हुए ही हिचकिचाएँगी। हिन्दी फिल्मों में या कहानियों में उम्रदराज महिलाएँ अक्सर युवा लड़कियों को अपना अतीत छिपाने का सुझाव देती नजर आती हैं। दरअसल इस मामले में अनुभव और सिद्धांत अलग-अलग होते हैं।

सिद्धांत कहते हैं कि स्वस्थ रिश्तों में आपसी विश्वास जरूरी है और इसके लिए किसी भी तरह का दुराव-छिपाव नहीं होना चाहिए। संक्षेप में सबकुछ एक-दूसरे को बता दिया जाना चाहिए, लेकिन अनुभव वह है जो शिमला में प्रगति के साथ हुआ। फिर भी इस दिनों युवाओं के सोच में बदलाव आया है।

सॉफ्टवेयर कंपनी में इंजीनियर रूपल महेश्वरी इस मामले में कहती हैं कि पुरुष स्वभाव से ही पजेसिव होते हैं, यदि थोड़ा बाद में उन्हें पिछले रिश्ते के बारे में पता चले तो कहा नहीं जा सकता है कि वे किस तरह से प्रतिक्रिया दें।

इसी तरह कम्प्यूटर व्यवसायी मुदित मल्होत्रा पुरुषों को सुझाव देते हैं कि यदि आपमें सच को सह पाने की क्षमता हो तो ही आप इस पचड़े में पड़ें। यदि नहीं है तो फिर अपने साथी का अतीत जानने की पहल कतई न करें।

काउंसलर डॉ. सुशील गोरे कहते हैं- एक रिश्ता विश्वास और ईमानदारी से मजबूत होता है। कहीं हम दोहरा चरित्र अख्तियार कर लेते हैं, हम सच कह तो सकते हैं, लेकिन सच को सह पाने का साहस नहीं जुटा पाते हैं। प्रगति ने सच कह पाने का साहस दिखाया, उसकी प्रशंसा की जानी चाहिए, लेकिन उसका साथी उसे सह नहीं पाया। युवा आजकल टीवी शोज से सीख रहे हैं कि रिश्तों में किस तरह से षड्यंत्र किए जा सकते हैं।

इसी तरह से होटल व्यवसायी शिमित आहूजा स्पष्ट कहते हैं कि मैं नहीं जानना चाहता कि मेरी गर्लफ्रेंड का पास्ट क्या है? मैं इस बारे में ज्यादा परेशान भी नहीं होता। यदि मैं उसका अतीत जानना चाहूँगा तो फिर वह भी मेरा अतीत जानना चाहेगी। फिर मैं हमेशा उसके पुराने रिश्ते से खुद को कंपेयर करूँगा और यह हमारे रिश्ते को ही बरबाद कर देगा। वह यदि मुझसे पूछेगी कि क्या पहले मेरा किसी से अफेयर था, तो मैं इंकार कर दूँगा।

एक तरफ जहाँ लड़कियाँ रिश्तों में ईमानदारी चाहती हैं, वहीं लड़के इस मामले में पलायनवादी हो जाते हैं। वे यह पचा नहीं पाते कि उनकी साथी का पहले भी कोई रिश्ता रहा होगा... अब कारण क्या है, इसके लिए अलग से विश्लेषण की जरूरत पड़ेगी।

नया-नया कॉलेज, नई-नई डेटिंग

स्टूडेंट्‍स जब स्कूल की दहलीज पार कर कॉलेज पहुँचते हैं तो उन्हें वहाँ खुला माहौल मिलता है। जीवन के इस मोड़ पर उनका अधिक खुशनुमा और कुछ-कुछ रोमांचक माहौल से सामना होता है। इस खुले माहौल के साथ कॉलेज कैम्पस में हर स्टूडेंट्‍स किसी दूसरे को अट्रेक्ट और इम्प्रेस करना चाहता है।

यह बहुत स्वाभाविक भी है क्योंकि यही वह जगह है जहाँ नए-नए दोस्त मिलते हैं और नए संबंध बनते हैं। कई बार कुछ अलग अंदाज में, कुछ-कुछ रूमानियत में शुरू हुई यह दोस्ती जिंदगी भर के हमसफर से भी मिला देती है और कभी-कभी किसी ऐसे प्यारे दोस्त से भी जिसे जिंदगीभर याद रखा जा सके।

इसलिए इन दिनों कॉलेज स्टूडेंट्‍स में डेटिंग का जबर्दस्त क्रेज है। हर कोई किसी को डेट पर ले जाना चाहता है लेकिन जो ितना क्रिएटिव होता है वह आसानी से किसी को डेट पर ले जा सकता है। कैंपस लाइफ स्टाइल का एक अभिन्न हिस्सा बन चुकी है डेटिंग। फर्स्ट डेट के लिए प्रपोज करने हेतु आपका कुछ क्रिएटिव होना जरूरी है वरना बोरिंग और आजमाए हुए तरीके आपको हताश-निराश कर सकते हैं।

इसलिए स्टूडेंट विनीत वाही कहते हैं कि फर्स्ट डेट के बारे में युवाओं में उत्सुकता होती है, लेकिन यह उत्सुकता ही कई बार इस फर्स्ट डेट को लास्ट डेट में बदल देती है। कई बार युवा फर्स्ट डेट पर सामने वाले शख्स से उसकी जिंदगी के बारे में कुछ ऐसे अनचाहे सवाल पूछ डालते हैं जो उनके दिल को ठेस पहुँचा देते हैं।

इसलिए दूसरे के बीते जीवन में दखलंदाजी न कर हलकी-फुलकी बातें करना चाहिए। इसमें आप अपने सेंस ऑफ ह्यूमर का इस्तेमाल कर इम्प्रेस कर सकते हैं और डेट को बोरिंग होने से बचा सकते हैं।


बेहतर होगा डेटिंग पर बातचीत की शुरुआत सामने वाले की हॉबीज और अन्य पसंदीदा चीजों पर की जाए। लेकिन डेट पर झूठ बोलने और बढ़ा-चढ़ाकर कुछ बात करने से बचना चाहिए। क्षितिज भूटानी कहते हैं कि आप किसी भी तरह के बनावटीपन से बचें। सबसे अच्छा यह है कि सरल व्यवहार करें और स्वाभाविक ढंग से मिलें।

कई बार डेटिंग पर स्टूडेंट किसी की स्टाइल मारने के चक्कर में मामला बिगाड़ देते हैं। प्रतीक व्यास मानते हैं कि डेटिंग पर जाना बुरी बात नहीं है लेकिन अपनी किसी हरकत या बात से साथी को असुविधा में न डालें। तभी आपकी डेट कामयाब हो सकती है। मनोज साहू कहते हैं कि आमतौर पर युवा खूबसूरत शख्स के साथ डेट पर जाना पसंद करते हैं लेकिन डेट पर जा रहे हैं तो उस शख्स के बारे में अच्छी तरह से जान-समझ लें।

1. प्रपोज करने के पहले नर्वस न हों।

2. खूबसूरती और कल्पनाशील तरीके से काम लें।

3. शुरुआत प्यारी सी फ्‍लर्टिंग से करें।

4. इजहार का कोई नया और अनूठा तरीका ईजाद करें।

5. बॉडी लैंग्वेज पर ध्यान दें।

6. लुक पर ध्यान दें, कॉन्फिडेंट रहें।

7. यदि कोई मना कर दे तो कूल रहें।

8. बिना डिप्रेस हुए विदा लें।

रोमांस : क्या, क्यों, कैसे



रोमांस शब्द के मायने पुराने समय से आज तक काफी बदले हैं मगर सच है कि आज भी यह शब्द एक खूबसूरत एहसास से भर देता है। रूह में एक खुशबू सी उतरती चली जाती है और सहेजकर रखे पुराने खतों को फिर से पढ़ने को जी करने लगता है। एक बहुअर्थी शब्द है रोमांस, जिसका शाब्दिक अर्थ हो सकता है कल्पना। एक प्यारी सी कोई बात, मीठी छेड़छाड़ जो तन-मन में स्पंदन जगाकर रोम-रोम पुलकित कर दे, मन में जोश और उत्साह भरकर जीने की इच्छा बढ़ा दे। यह सिर्फ एक अहसास है, जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है। इसे सिर्फ दिल की गहराइयों से ही महसूस किया जा सकता है।

रोमांस जन्मा कैसे
रोमांस की उत्पत्ति कब और कहाँ हुई, यह कहना थोड़ा मुश्किल है। पहले-पहल इसका आम जीवन से कोई ताल्लुक नहीं था, राजा-रानियों की प्रेम कथाओं में इसका हल्का-फुल्का जिक्र होता था। फिर लिखित साहित्य आया। उसके बाद फिल्मों में रोमांस के हर पहलू का खूब खुलकर फिल्मांकन किया गया।

पहले रोमांचक कहानियाँ या उपन्यास पढ़ना, फिल्में देखना अच्छा नहीं समझा जाता था, रोमांस की तो बात ही दूर थी। यह सचमुच कल्पना ही था। इसलिए आम आदमी हमेशा हिचक के घेरे में रहा। वह रोमांस के रोमांच से अभिभूत तो रहा, मगर न तो उसे खुलकर स्वीकार सका और न महसूस कर सका।

रोमांस एक चुंबकीय आकर्षण है, इसलिए इसने इतनी जल्दी सबको अपने सम्मोहन में जकड़ लिया है। अकेलेपन की उदासियों में रोमांस ही है, जो जीवन में रंग भरने लगा है। एक तो रिश्तों की बढ़ती बराबरी व दोस्ती के तकाजे के चलते आए खुलेपन से रोमांस की संभावनाएँ बढ़ी हैं, दूसरी तरफ, जीवन की बढ़ती व्यस्तताओं से उपजी, निराशा, ऊब, तनाव व अवसाद के चलते मनोचिकित्सकों ने भी रोमांस के महत्व को पहचना है और उसे मानवीय जीन का अनिवार्य हिस्सा बताया है।


आखिर रोमांस है क्या
रोमांस एक अहसास है जिसकी गहराई को सिर्फ महसूस किया जा सकता है। किसी प्रिय से निगाहे मिलने पर दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं और तन-मन में स्पंदन सा महसूस होता है, इसे ही तो रोमांस कहते हैं। रोमांस शब्दों का मोहताज नहीं है, यह आँखों और इशारों की भाषा खूब समझता है। रोमांस के बिना प्रेम का अस्तित्व नहीं होता।

प्रेम की डगरिया का नाम है रोमांस। प्रेम अगर मंजिल है तो रोमांस पगडंडी, जो प्रेम की परिपक्वता प्रदान करती है। यह कोई जरूरी नहीं कि जिससे आप प्रेम करते हों वह भी आपसे उतनी शिद्दत से प्रेम करता हो। रोमांस प्रेम में तभी परिवर्तित होता है जब एक-दूसरे के प्रति रोमांस के भाव दोनों के मन में जागे वरना कामनाएँ सिर्फ रोमांस बनकर रह जाती हैं। रोमांस दो चाहने वालों को एक-दूसरे के करीब लाने, उनमें प्रेम जगाने का एक माध्यम है।

रोमांस का अर्थ केवल प्यार-मोहब्बत और दैहिक संसर्ग नहीं, बल्कि रोमांस का अर्थ है अपने लक्ष्य को पाने के लिए निष्ठा व प्रेम। कोई भी व्यक्ति अपने मकसद को तब तक नहीं पा सकता जब तक उसके अंतर्मन में उस काम से प्यार और उसे कर पाने की इच्छा और लगन नही होगी। रोमांस एक तड़ित तरंगित गतिमयता है, दीवानगी है, एक पागलपन, एक सिरफिरापन है। इसके बाद ही कलाकार व दीवानों को अपने उद्देश्य की प्राप्ति होती है।

रोमांस की बदलती परिभाषाएँ
पुराने समय का रोमांस शायद कहीं अधिक रोमांटिक था, लुक-छिपकर एक-दूसरे को निहारना, लंबी सैर पर निकल जाना, कॉफी की चुस्कियाँ लेना और एक-दूसरे का हाथ पकड़ना आदि। स्पर्श के इस रोमांच को प्रेमी युगल कई दिनों तक नहीं, महीनों-सालों तक महसूस करते थे।


रोमांस के नाम पर मन में जोश और उत्साह होता था। रोमांस का जिक्र आते ही होठों पर खिली शर्मीली मुस्कुराहट तो दिखाई दे जाती थी, लेकिन मन में फूटते लड्डुओं का अंदाजा मात्र चेहरे को देखकर लगानमुश्किहोतथा

दूसरी तरफ आधुनिक रोमांस की गति इतनी तेज है कि प्रेमी युगल के पास उसे महसूस करने के लिए, उन क्षणों को जीने के लिए समय ही नहीं है। आज का हाईटेक रोमांस भाषा-प्रधान है, जो ई-मेल, चैटिंग और एसएमएस द्वारा तुरंत संचारित होता है। आज रोमांस को समय और दूरी का मुँह नहीं ताकना पड़ता। अब रोमांस का स्थान डिस्को, पार्टियों, डेटिंग आदि ने ले लिया है जहाँ शोरशराबे में इच्छाएँ-कामनाएँ पहले ही खत्म हो जाती हैं।

अंत में यही कहा जा सकता है कि रोमांस का भाव स्थायी नहीं है, बल्कि संचारी है। जो किसी विषय, वस्तु या फिर व्यक्ति विशेष के बारे में सोचते हुए तन-मन में संचारित होता है और कुछ भी पलों में गायब भी हो जाता है। प्रेम और रोमांस दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। इनके बिना जीवन ऐसे रेगिस्तान के समान है, जहाँ कभी कुछ नहीं खिल सकता।

लव, अट्रेक्शन या इन्फेचुएशन

प्रेम और आकर्षण के बीच अंतर

जीवन में हम बहुत से लोगों से मिलते हैं। कुछ आपको हँसाते हैं, कुछ के साथ आप बहुत मजा करते हैं और कुछ का डील-डौल देखकर ही अच्छा लगता है, लेकिन किसी में वो बात नहीं रहती जो आप अपने सपनों के राजकुमार के बारे में सोचती रही हैं। न जाने आप कितने लोगों से मिल चुकी हैं, लेकिन फिर भी आपकी तलाश अधूरी है।

जब ऐसी स्थिति आ जाती है तब लगता है कि काश अपने मनपसंद साथी को बनाना आपके हाथ में होता और आप हर व्यक्ति में से अच्छे-अच्छे गुण चुनकर एक परफेक्ट साथी चुन लेतीं, लेकिन यह हमेशा याद रखिए कि दुनिया का कोई भी व्यक्ति परफेक्ट नहीं होता और आप किसी से पूरी तरह बदलने की आशा भी नहीं कर सकती हैं।

ऐसी दुविधापूर्ण स्थिति में आपको प्रेम और आकर्षण के बीच अंतर समझना सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है, क्योंकि महज आकर्षण के धरातल पर किसी भी रिश्ते की नींव मजबूत हो ही नहीं सकती है। अब आपके सामने सबसे बड़ी समस्या अपने आदर्श साथी को लेकर है, यह भी सुलझ जाएगी यदि आप तय कर लेंगी कि आखिर वास्तविक जिंदगी में आप क्या चाहती हैं