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सोमवार, 16 अगस्त 2010

बताओ कैसा लगता है …?

बताओ कैसा लगता है…?
किसी वीरान रास्ते पे,
किसी अन्जान रास्ते पे,
किसी का साथ मिल जाना,
ख़ुशी के फूल खिल जाना ,
बताओ कैसा लगता है …?
और उस के बाद फिर एक दिन ,
किसी का यूं बिछर जाना ,
सभी रंगों का मिट जाना ,
वो बंद मूट्ठी में हाथों की ,
फ़क़त कुछ रेत रह जाना ,
बताओ कैसा लगता है …?

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