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सोमवार, 16 अगस्त 2010

मैं ऐसा क्यों हूँ …

क्यों खुश हो जाता हूँ मैं
तुम्हारी ख़ुशी देखके
क्यों हो जाता हूँ मैं हताश
तुम्हें उदास देखके

चहक सा उठता हूँ मैं क्यों
जब मिलने कि बारी आती हैं
पर क्यों मिलने बाद घंटो
नींद नहीं आती हैं

आँखें बंद करने से क्यों
याद तुम्हारी आती हैं
पर जब खुलती हैं तोह
क्यों फिर तू सामने आती हैं

आँशु तेरे टपकते हैं
तो मैं क्यों सिसकता हूँ
जरा सी तू हस्ती हैं
तो मैं क्यों निखरता हूँ

जब भी देखता हूँ तुम्हें
बस यह सोचता हूँ
पूछो तुमसे या तुमसे कहूँ
रखूं दिल में ये बात या कह दूँ

सुन जरा बस इतना बता
मैं ऐसा क्यों हूँ
मैं ऐसा क्यों हूँ

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