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सोमवार, 16 अगस्त 2010

तेरी आँखों सी आंखें

तेरी आँखों सी आंखें
आज एक चेहरे पे देखि हैं
वोही रंगत, बनावट
और वेसी बे - रुखी उन मैं
बिचरते वक़्त जो मैने
तेरी आँखों मैं देखी थी
तेरी आँखों सी आँखों ने
मुझे एक पल को देखा था
वो पल एक आम सा पल था
पुराने कितने मौसम ,
कितने मंज़र मैने देखे थे
मेरी जान मैं ये समझा था
तेरी आँखों सी आंखें जब
मेरी आँखों को देखेंगी
तो एक लम्हे को सोचेंगी
के इन आँखों को पहले भी
किसी चेहरे पे देखा है
मगर इन झील आँखों मैं
शनासाई नही जगी
मेरी आंखें !!
तेरी आँखों सी आँखों के लिए
कब ख़ास आंखें थीं
तेरी आँखों ने शयेद ये
कई चेहरों पे देखी हों
के ये तो आम आंखें हैं
मैं ऐसा सोच सकता था
मगर मैं कीया करूँ दिल का
जो अब यह याद रखेगा
तेरी आँखों सी आंखें
मैं ने एक चेहरे पे देखि थीं !!
फिर उस कबाड़ कितने दिन
मेरी आँखों मैं सावन था ..

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